विसर्ग क्या है । विसर्ग संधि के विषय में बताइये
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'विसर्ग ( : ) महाप्राण सूचक एक स्वर है। ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न अधिकांश लिपियों में इसके लिये संकेत दिये गये हैं।
उदाहरण के लिये,रामकृष्णः, प्रातः, अतः, सम्भवतः, आदि शब्दों के या तो शुरुआत अर्थात आदि में या अन्त में विसर्ग आया है। विसर्ग वास्तव में अपने आप में कोई अलग वर्ण नहीं है; यह केवल स्वराश्रित वर्ण है।
जब किसी पद में विसर्ग : के आगे किसी व्यंजन का मेल होने पर जब विकार पैदा होता है, तब यह संधि विसर्ग संधि कहलाती हैं।
मन:+बल = मनोबल विसर्ग+ब = ओब
नि:+चल = निश्चल विसर्ग+च =श्च
नि:+संदेह = निस्संदेह विसर्ग+स =स्स
धनु:+टंकार = धनुष्टंकार विसर्ग+ट =ष्ट
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