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Sunday 7 December 2014

अवस्थाओं के रूप

  • अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे-
मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
अच्छीअधिक अच्छीसबसे अच्छी
चतुरअधिक चतुरसबसे अधिक चतुर
बुद्धिमानअधिक बुद्धिमानसबसे अधिक बुद्धिमान
बलवानअधिक बलवानसबसे अधिक बलवान
इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।
  • तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे-
मूलावस्थाउत्तरावस्थाउत्तमावस्था
उच्चउच्चतरउच्चतम
कठोरकठोरतरकठोरतम
गुरुगुरुतरगुरुतम
महानमहानतर,महत्तरमहानतम,महत्तम
न्यूनन्यूनतरन्यनूतम
लघुलघुतरलघुतम
तीव्रतीव्रतरतीव्रतम
विशालविशालतरविशालतम
उत्कृष्टउत्कृष्टरउत्कृटतम
सुंदरसुंदरतरसुंदरतम
मधुरमधुरतरमधुतरतम

विशेषणों की रचना

  • कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना संज्ञासर्वनाम एवं क्रिया शब्दों से की जाती है-
(1) संज्ञा से विशेषण बनाना
प्रत्ययसंज्ञाविशेषण
अंशआंशिक
धर्मधार्मिक
अलंकारआलंकारिक
नीतिनैतिक
अर्थआर्थिक
दिनदैनिक
इतिहासऐतिहासिक
देवदैविक
इतअंकअंकित
कुसुमकुसुमित
सुरभिसुरभित
ध्वनिध्वनित
क्षुधाक्षुधित
तरंगतरंगित
इलजटाजटिल
पंकपंकिल
फेनफेनिल
उर्मिउर्मिल
इमस्वर्णस्वर्णिम
रक्तरक्तिम
रोगरोगी
भोगभोगी
ईनकुलकुलीन
प्रत्ययसंज्ञाविशेषण
ईणग्रामग्रामीण
ईयआत्माआत्मीय
जातिजातीय
आलुश्रद्धाश्रद्धालु
ईर्ष्याईर्ष्यालु
वीमनसमनस्वी
तपसतपस्वी
मयसुखसुखमय
दुखदुखमय
वानरूपरूपवान
गुणगुणवान
वती(स्त्री)गुणगुणवती
पुत्रपुत्रवती
मानबुद्धिबुद्धिमान
श्रीश्रीमान
मती (स्त्री)श्रीश्रीमती
बुद्धिबुद्धिमती
रतधर्मधर्मरत
कर्मकर्मरत
स्थसमीपसमीपस्थ
देहदेहस्थ
निष्ठधर्मधर्मनिष्ठ
कर्मकर्मनिष्ठ
(2) सर्वनाम से विशेषण बनाना
सर्वनामविशेषण
वहवैसा
यहऐसा
अलंकारआलंकारिक
(3) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रियाविशेषण
पतपतित
पूजपूजनीय
पठपठित
वंदवंदनीय
भागनाभागने वाला
पालनापालने वाला

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